Posts

Showing posts from 2011

kal tak

कल पत्थर की तरह था में परसों था लोहे की तरह कल धुल की तरह हो जाऊ परसों धागे की तरह हो जाऊ रुई के गुण गाऊ ! अगले महीने आटे की तरह साल भर बाद पानी की तरह आगे हवा की तरह हो जाऊ फिर आग की तरह हो जाऊ धधक कर ज़लू- जलाऊ  बहुत पहले खेत की तरह हो गया में   कभी आकाश की तरह फैल जाऊ बदल बन जाऊ उमड़ घुमड़ कर गरज बरस जाऊ रोज़ रोज़ हर पल उगता ढलता जा रहा हु जितना चलता जा रहा हु उतना बदलता जा रहा हु !

Anubhav

Image
जीवन में मेरे अनुभवों का संसार बहुत विचित्र  है ! लोगो का करीब आना और छटक कर दूर किसी अँधेरे में गुम हो जाना मानो जीवन की नियति रही है ! जीवन की विडम्बना यही रही की ये काफिला कभी रुका नहीं, कभी अकेली नहीं रही पर कोई दूर तक साथ निभा नहीं पाया ! जगह खाली हुई, फिर भरी, फिर खाली हुई , फिर भरी और इस खाली होने और भरने की प्रक्रिया में हर बार सिर्फ में और में ज़ख़्मी हुई,  में टूटी, में कमज़ोर हुई __________ एक कोमल लता समान ! पर अंतत इस पूरी यात्रा में मेरे अनुभवों का वटवृक्ष बढता गया और मैंने पाया की अब मैंने जीवन यात्रा में चोटिल न होने की कला सीख ली है.........पर क्या सचमुच ?.....कहना कठिन है.....! क्यूकि यात्रा अभी चलायेमान है और में अभी भी सीख रही हु.....:)

Happy Women's Day

Image
आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है , आज की रात न फूटपाथ पे नींद आएगी , सब उठो,में भी उठू , तुम भी उठो, तुम भी उठो, कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जाएँगी.... ये ज़मी तब भी निगल लेने को आमादा थी, पाँव जब टूटती शाखाओं से उतारे हमने, इन मकानों को खबर है, न मकीनो  को खबर , उन दिनों की जो गुफाओ में गुज़ारे हमने, अपनी आँखों में लिए मेहनत-ऐ-पैहम की थकन, बंद आँखों में इसी कस की तस्वीर लिए, दिन पिघलता है इसी तरह सरो पर  अब तक, रात आँखों में कटती है सियाह तीर लिए..... आज की रात बहुत गर्म हवा चलती है , आज की रात न फूटपाथ पे नींद आएगी , सब उठो,में भी उठू , तुम भी उठो, तुम भी उठो, कोई खिड़की इसी दीवार में खुल जाएँगी.... " कैफ़ी आज़मी "